Editorial: बालासोर में ट्रेन हादसा भयानक, जिम्मेदारी हो तय
- By Habib --
- Saturday, 03 Jun, 2023
Terrible train accident in Balasore
Terrible train accident in Balasore ओडिशा के बालासोर जिले में एक मालगाड़ी और दो यात्री ट्रेन के बीच हुए भयंकर हादसे में 233 से ज्यादा लोगों की मौत एवं हजारों के घायल होना बेहद दुखद है। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है और यह राष्ट्रीय आपदा की भांति है। ऐसा बरसों बाद हुआ है, जब देश में रेल हादसों की रोकथाम के लिए विभिन्न स्तर पर सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं, उसके बावजूद ऐसा होना समझ से परे है और इसने तकनीकी विशेषज्ञों को भी सांसत में डाल दिया है।
देश में ट्रेन की सुरक्षित आवाजाही के लिए कवच नाम से एक विशेष तकनीकी ईजाद की गई है, लेकिन अब देश में इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह हादसा यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच हुआ। जैसा घटनाक्रम सामने आया है, उसमें ट्रेक पर पहले से खड़ी मालगाड़ी से एक ट्रेन टकरा गई और उसकी बोगियां क्षतिग्रस्त होकर दूसरी लाइन पर चली गई, इस दौरान दूसरी ट्रेन जब वहां से गुजर रही थी तो हादसे पर हादसा हो गया। यह कितना भयानक अनुभव रहा होगा जब यात्री जोकि शाम के समय ट्रेन में अपना भोजन ले रहे थे, एकाएक इस हादसे का शिकार हो गए। ओडिशा के अस्पतालों में इस समय जगह बाकी नहीं है और घायलों को संभालना भी मुश्किल हो रहा है।
भारत में एक वह समय भी था, जब ट्रेन हादसे आम बात हो गई थी, लेकिन समय के साथ इनमें सुधार होता गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे के बाद उन कारणों की तलाश पर जोर दिया है, जिनसे भविष्य में होने वाले हादसों को टाला जा सके। इस हादसे के कारणों की भी उन्होंने पड़ताल की है, उन्होंने खुद घटनास्थल का जायजा लेकर उन परिस्थितियों को समझने की कोशिश की है, जिनमें यह भयानक घटना घटी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार की ओर से हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के स्वजनों को 10-10 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल लोगों को 2-2 लाख रुपये एवं अन्य घायलों को 50-50 हजार रुपये देने का ऐलान किया है। निश्चित रूप से मृतकों के परिजनों को यह राशि उस क्षति की भरपाई नहीं कर सकती, जोकि उन्हें हुई है।
इस यात्रा ने जोकि अधूरी रह गई, उनके परिजनों को ऐसा दर्द दिया है, जोकि उन्हें हमेशा सालता रहेगा। यह भी विस्मित करने वाली बात है कि आखिर हादसे में पूरे परिवार ही समाप्त हो गए हैं, क्योंकि पूरी की पूरी बोगी ही लाशों के ढेर में बदल गई। ट्रेन ऐसे लोहे से बनी होती हैं, जिन्हें काटना असंभव है, लेकिन इस हादसे में वही लोहे की बोगियां बच्चों के खिलौनों की भांति खंडित हो गई। यह भी देखने को मिला कि एक रेलवे लाइन टूट कर सीधी ट्रेन के फर्श को काटते हुए बोगी की छत से बाहर निकल गई है। इससे हादसे की भयावहता का अंदाजा लगता है।
यह हादसा शाम के समय हुआ और इससे समस्या और बढ़ गई, क्योंकि यात्रियों को बचाने के कार्य में मुश्किल आई। आस पास के लोगों के दिल भी दहल गए क्योंकि एकाएक इतने विकराल रूप में बोगियां एक दूसरे पर चढ़ चुकी थी और प्रत्येक बोगी में जाकर घायलों का पता लगाना मुश्किल था, यही वजह भी है कि मृतकों की संख्या इतनी ज्यादा हो रही है। गंभीर रूप से घायल भी अस्पताल में दम तोड़ रहे हैं, जिससे स्थिति दयनीय होती जा रही है। ओडिशा सरकार ने इस आपदा की स्थिति में पूरी तत्परता से कार्य किया है, खुद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक घटना स्थल पर पहुंचे, वे रात से ही पूरे बचाव अभियान पर नजर रखे हुए हैं।
उन्होंने अस्पतालों का भी दौरा किया है। वहीं पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी घटनास्थल का दौरा किया है, सरकार ने कंट्रोल रूम बनाया है, बंगाल में विभिन्न अस्पतालों में इलाज के प्रबंध किए गए हैं।
इस हादसे के बाद विपक्ष के राजनीतिकों की ओर से केंद्र सरकार पर आरोपों की झड़ी लगाई जा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार का पूरा जोर केवल लग्जरी ट्रेन की सुरक्षा बढ़ाने पर है, लेकिन सामान्य यात्रियों की सुरक्षा और उनकी बेहतरी के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे। इसी प्रकार का आरोप लगाते हुए तृणमूल कांग्रेस ने भी सवाल पूछे हैं। निश्चित रूप से जब अच्छा होता है तो उसका श्रेय भी सरकार लेती है लेकिन अगर हादसे हों तो उनकी जिम्मेदारी भी सरकार को लेनी चाहिए।
विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल और आरोप अपनी जगह हैं, वे राजनीतिक भी हो सकते हैं, क्योंकि कौन सरकार, रेलवे का अधिकारी, कर्मचारी या फिर ट्रेन का चालक चाहेगा कि हादसा हो, लेकिन इसकी वजह तकनीकी हो सकती है। सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं, निश्चित रूप से यह पता लगाए जाने की जरूरत है कि आखिर गलती किसकी थी। रेलवे में और ज्यादा तकनीकी सुधारों की आवश्यकता है।
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